किसने कहा या कहां लिखा है कि शिक्षक वही होता है जो आपका हाथ पकड़ कर या आपके सामने बैठकर ही आपको कुछ पढ़ना या लिखना सिखाए कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जिनका अध्यापन (teaching) के क्षेत्र से कोई नाता नहीं होता, मेरा मतलब है जो पेशेवर शिक्षक नहीं होते और तो और उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं होती कि वह किसी के लिए शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। और कभी-कभी अध्यापक और विद्यार्थी के बीच की दूरी 1000 किलोमीटर या उससे भी अधिक होती है ऐसे शिक्षकों को मैं special teachers कहती हूं क्योंकि वे खास किसी एक के लिए ही शिक्षक की भूमिका में होते हैं। 

 मजे की बात तो यह है कि शिष्य को यह भी पता नहीं होता कि जिन्हें वह शिक्षक मानकर वह कुछ सीख रहा है / रही है वे कहां रहते हैं? और न ही वह यह सोच पाता है कि कभी मैं अपने शिक्षक को यह बता पाऊंगा / पाऊंगी की आपने मुझे कुछ सिखाया है जिसकी वजह से मेरे हृदय में आपका स्थान एक शिक्षक का है‌। 

 पर आज के social media के समय में सब संभव है छात्र जीवन के शिक्षकों, जिन्होंने हाथ पकड़ कर कुछ लिखना पढ़ना सिखाया है आज उन्हें तो सब याद करते हैं, तब मेरे मन में कुछ अलग करने की जिज्ञासा जागी इसलिए मैंने आज आपने special teacher से आप सब का परिचय कराने की सोची, 

 तो आइए अब उनके बारे में कुछ बात कर लेते हैं जैसा कि आप जानते हैं कि मेरा जन्म एक गुजराती परिवार में हुआ है पर घर में गुजराती भाषा का प्रयोग ना के बराबर होने के कारण भाषा पढ़ने और लिखने तो बिल्कुल नहीं आता था और बोलने में भी शुद्धता नहीं थी। 

 पर बचपन से ही सीखने की इच्छा थी, 

 कैसे सीखी जाए या कौन सिखाएगा इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी जब मैं नौवीं कक्षा में थी तब पहली बार computer और internet से परिचय हुआ तब पहली बार Google का प्रयोग सीखते समय Gujarati songs लिखकर search करने पर जो पहली आवाज कान में पड़ी और पसंद आ गई वह थी लोकप्रिय गुजराती पार्श्वगायक श्रीमान Arvind Barot जी की। हां उस गीत के कुछ शब्द समझ नहीं आए थे जिन्हें Google की मदद से समझा। तब लगा कि इस तरह से गीतों के माध्यम से भाषा सीखी जा सकती है, पर उस समय computer classes के अलावा Google और internet का कोई साधन नहीं था इसलिए सीखने की रफ्तार थोड़ी धीमी थी इसे रफ्तार मिली जब मैं ITI में पहुंची उसके बाद पढ़ाई के लिए computer जरूरी हो गया क्योंकि आईटीआई information Technology से कर रही थी जिसके कारण मेरे घर में computer आया और पढ़ाई के साथ-साथ गुजराती सीखने में भी आसानी हो गई फिर ITI पूरा होने के कुछ दिन पहले दोस्तों से संपर्क बनाए रखने के लिए facebook पर account बनाया, 

 और सीखते हुए 10 वर्ष हो चुके थे पर मैंने यह नहीं सोचा था कि मैं अपने शिक्षक को यह बता पाऊंगी कि आपने मुझे गुजराती सिखाई है इसलिए मेरे हृदय में आपके लिए एक शिक्षक का स्थान है तभी 8 दिसंबर 2017 को उनसे फेसबुक पर संपर्क हुआ और मैं उनसे यह कह सकी कि मेरे हृदय में आपका स्थान एक शिक्षक का है क्योंकि आपने मुझे गुजराती सिखाई है। 

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