चंदनपुर नामक नगर के राजा चंद्रसेन को संतान के रूप में केवल एक बेटी ही थी। जिसका नाम अंबिका था। एकमात्र संतान होने के कारण अंबिका को खूब प्यार मिलता था। उसकी हर फरमाइश तुरंत पूरी होती थी। 

एक दिन अंबिका सो रही थी, उसने सपने में देखा कि वह अपनी मां के लिए पूजा के फूल लेने बगीचे में गई, फूल चुनते समय उसने देखा कि सुंदर सफेद पोशाक और चमकीला मुकुट पहने हुए एक लड़की बगीचे में घूम रही है। 

अंबिका उसके पास गई और पूछा कि, तुम कौन ? कहां से आई हो ? यहां क्या कर रही हो ? 

लड़की बोली मैं परियों की रानी हूं। परीलोक से आई हूं। इस बगीचे के फूलों की मनमोहक खुशबू के कारण यहां टहलने आई हूँ। इतने में अंबिका की नींद खुल गई, देखा तो सुबह हो चुकी थी। उठकर दौड़ती हुई मां के पास पहुंची, और बोली आज आपके लिए पूजा के फूल मैं लाऊंगी। मां ने सोचा आज तक यह काम माली करता था, आज इसे क्या हुआ? फिर भी आज्ञा दे दी। लाडली बेटी जो थी। 

 अंबिका फूल लेने बगीचे में गई। वहां अपना सपना सच होते देखकर अंबिका बहुत खुश हुई, उसने परी से कहा तुम्हें जो फूल पसंद है ले जाओ। बदले में अपने जैसी पोशाक और मुकुट देकर जाओ परी ने अपनी छड़ी घुमाई अपनी छड़ी हो और पोशाक और मुकुट अंबिका को देकर चली गई। 

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