ओ! विरल भाई की राजकुमारी,
तुझ पर दुलार लुटाने को,
आज मन आतुर है तुझे गले लगाने को।
भौतिक दूरी ने बांधा ऐसा,
सक्षम नहीं तुझ तक आ पाने को,
लेखनी उठाई मैंने,
अपना दुलार तु़झ तक पहुंचाने को।
आज के दिन तूं धरा पर आई,
बारोट कुल में खुशियां लाई,
कुल में सभी ने पदोन्नति पाई।
सारी इच्छाएं पूरी हों तेरी,
दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती रहें खुशियां तेरी,
भोले भंडारी से बस इतनी सी है कामना मेरी।