राबिया और राहुल बचपन से एक ही कॉलोनी में पड़ोसी होने के साथ-साथ एक ही स्कूल में पढ़ने पड़ते होने के कारण अच्छे दोस्त थे। दोस्ती इतनी अच्छी थी कि राहुल राबिया के लिए दूसरे बच्चों से लड़ जाया करता था। जैसे-जैसे दोनों बड़े हुए दोस्ती गाढ़ी होती गई। दोनों ने स्कूल पूरा किया अब बारी थी कॉलेज जाने की। 

एक रूढ़िवादी मुस्लिम परिवार से होने के कारण पहले तो राबिया के अब्बू उसे आगे पढ़ाने के पक्ष में नहीं थे पर बहुत मनाने पर मान गए और एक वुमन्स कॉलेज में प्रवेश दिला दिया क्योंकि राबिया किसी भी कीमत पर आगे पढ़ना चाहती थी इसलिए मान गई।   

 राबिया के वूमंस कॉलेज में प्रवेश की बात जब राहुल को पता लगी तब उसे बहुत दुख हुआ क्योंकि वह मन ही मन राबिया को चाहने लगा था और जानता था कि धर्म अलग होने के कारण वे दोनों जीवन भर साथ नहीं रह सकते, राबिया के साथ समय बिताने के लिए कॉलेज ही एक आखरी मौका था। 

राहुल राबिया को चाहता है इस बात से राबिया बिल्कुल अनजान थी इसलिए वह खुशी-खुशी अपने कॉलेज में प्रवेश की बात अपने दोस्त राहुल को बताने गई, पर वह कुछ बोल पाती इससे पहले ही राहुल ने कहा मुबारक हो राबिया तुम्हारा कॉलेज में एडमिशन हो गया है इतना कहते ही राहुल की आंखें नम हो गई। मानो उसकी कोई अनमोल चीज किसी ने छीन ली हो। इस पर राबिया बोली क्या हुआ राहुल तुम खुश नहीं हो? राहुल बोला मैं बहुत खुश हूं कि चाचा जान तुम को आगे पढ़ाने के लिए राजी हो गए।   

 तो ये आंसू कैसे? राबिया बोली।  यह तो खुशी के आंसू है राहुल इतना बोल कर वहां से चला गया। 

 फिर राहुल ने पढ़ाई छोड़ कर अपने पिताजी की दुकान में काम करना शुरू कर दिया जो राबिया के कॉलेज के पास में थी ताकि उसे रोज़ देख सके. 

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